Share

वकीलों के लिए काले कोट की अनिवार्यता के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर

दिनांक :

नई दिल्ली – अधिवक्ता शैलेन्द्र मणि त्रिपाठी द्वारा दायर याचिका में राज्य बार काउंसिलों को प्रत्येक राज्य में “प्रचलित गर्मी के महीनों” का निर्धारण करने का निर्देश देने की भी मांग की गई है, ताकि उन महीनों में काला कोट और गाउन पहनने से छूट दी जा सके।शीर्ष अदालत ने 2022 में वकीलों को गर्मियों के दौरान शीर्ष अदालत के साथ-साथ देश भर के उच्च न्यायालयों में काले कोट और गाउन पहनने से छूट देने की मांग वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था।उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर कर गर्मियों के दौरान शीर्ष अदालत के साथ-साथ देश भर के उच्च न्यायालयों में वकीलों को काले कोट और गाउन पहनने से छूट देने का निर्देश देने की मांग की गई है।अधिवक्ता शैलेन्द्र मणि त्रिपाठी द्वारा दायर याचिका में राज्य बार काउंसिलों को प्रत्येक राज्य के लिए “प्रचलित गर्मी के महीनों” को निर्धारित करने का निर्देश देने की भी मांग की गई है, ताकि उन महीनों के लिए काले कोट और गाउन पहनने से छूट दी जा सके।याचिका में राज्य बार काउंसिलों को अपने नियमों में संशोधन करने तथा उस समयावधि को तय करने का निर्देश देने की मांग की गई है, जब वकीलों को राज्य विशेष में गर्मियों के चरम समय के आधार पर काले कोट और गाउन पहनने से छूट दी जाएगी।याचिका में शीर्ष अदालत से अनुरोध किया गया है कि वह राज्यों में वकीलों के लिए पारंपरिक ड्रेस कोड में ढील देने पर विचार करे, क्योंकि बढ़ती गर्मी के मौसम में इससे वकीलों को परेशानी और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।इसमें कहा गया है कि भीषण गर्मी के दौरान कोट पहनने से वकीलों के लिए एक अदालत से दूसरी अदालत जाना मुश्किल हो जाता है।शीर्ष अदालत ने 2022 में गर्मियों के दौरान शीर्ष अदालत के साथ-साथ देश भर के उच्च न्यायालयों में वकीलों को काले कोट और गाउन पहनने से छूट देने की मांग वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था।सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि वह अनुच्छेद 32 के तहत याचिका पर विचार नहीं कर सकता है और याचिकाकर्ता को अपनी शिकायत लेकर बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) के पास जाने को कहा था।वकीलों का ड्रेस कोड अधिवक्ता अधिनियम, 1961 के तहत बीसीआई नियमों द्वारा शासित होता है, और वकीलों के लिए सफेद शर्ट के साथ काला कोट और सफेद नेकबैंड पहनना अनिवार्य है।नियमों के अनुसार, वकील का गाउन पहनना वैकल्पिक है, सिवाय इसके कि जब वकील सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय में उपस्थित हो रहा हो।

संस्थापक-लेखक: शैलेंद्र प्रसाद साहू, समाचार रिपोर्टिंग की दुनिया में अपने अनुभव से भरपूर हैं। पारदर्शी और सटीक जानकारी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध, वह छत्तीसगढ़ के रायगढ़ और सारंगढ़ जिलों की स्थानीय कहानियों के दिल में गहराई में जाते हैं। सच्ची स्थानीय इंशाइट्स के साथ समाचार के भविष्य को आकार देने में हमारे साथ जुड़ें।

Recent Posts

अन्य समाचार

हमे फॉलो करें